Skip to main content

Shashank Tripathi IAS Topper Interview in Hindi शशांक त्रिपाठी आईएएस टॉपर 5 वीं रैंक, 2015 – 2016



बायो डाटा

नाम- शशांक त्रिपाठी
प्रयास – 2
स्थान – 5
राज्य – उत्तर प्रदेश
शशांक त्रिपाठी २०१५ की परीक्षा में जिसका परिणाम १० मई २०१६ को घोषित किया गया उसमे ५ व स्थान आया | शशांक त्रिपाठी कानपूर IIT के ऐसे विद्यार्थी है जो फेल होने की वजह से प्लेसमेंट सत्र के लिए नहीं चुने गए  | वे उस समय सिविल सेवा की तयारी कर रहे थे और उन्हें विश्वास था की एक दिन इसका फल उन्हें जरुर मिलेगा |
जब परिणाम आया तो शशांक बहोत ही गौरवान्वित महसूस कर रहे थे और वे बहोत ही आश्चर्य भी हो रहे थे क्योकि उनका सपना पूरा हो गया था | यह उनका दूसरा प्रयास था अपने पहले प्रयास में उनका २७२ वा स्थान था | वे IRS के लिए चुने गए जिसका मतलब होता है : भारतीय राजस्व सेवा (INDIAN Revenue system) और उनका प्रशिक्षण नागपुर में चालू था | वे इससे संस्तुष्ट नहीं थे, वे IAS बनना चाहते थे और उनके पिता नारायण त्रिपाठी उन्हें हमेशा प्रोत्साहित करते रहते थे | परिणाम आने के बाद शशांक बताते है की उन्हें बधाई के लिए फोन औरे सन्देश आने लगे वे उस समय ९ वे आकाश में थे | शशांक ने इच्छा जताई की वे उत्तर प्रदेश के जिले में कार्यरत होना चाहते है | वे बताते है की परिणाम आने के बाद सबसे पहले अपने माता पिता के पास गए जो उनकी गहरी प्रशंशा में थे |

सफलता की कहानी


शशांक के सफलता का मन्त्र है बस पढाई , हालाँकि उन्हें बहोत से कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जब वे अध्ययन के लिए गए थे तब | लेकिन उनका कठिन परिश्रम और दृढ निश्चय ने उन्हें अपने दुसरे प्रयास में सफल बना दिया | शशांक ने अपने स्कूल की पढाई २००८ के नवाबगंज के दिन दयाल उपाध्याय स्कूल से किया और बोर्ड में ९३% आया था | उनके पिता जी उसी स्कूल में मुख्य क्लार्क थे | यह उनके लिए बहोत गौरव भरा दिन था |
वे कहते है की किसी को भी अपने सपने को पूरा करने के लिए कड़ी से कड़ी मेहनत करना चाहिए उसे कभी भी धर्य नहीं छोड़ना चाहीये |
परिणाम आने के बाद सभी उनके चाहने वालो ने उन्हें बधाई दिया |
शशांक ने हमें यह सिखाया की कभी भी अपना समय बर्बाद मत करो अगर तुम्हे अपने सपनो को पाना है तो निरंतर प्रयास करते रहो |

Comments

Popular posts from this blog

Saraswati Vandana Shloka in sanskrit with hindi meaning

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता  या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।  या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता  सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥ श्लोक अर्थ  - जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चन्द्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर शङ्कर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही सम्पूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली माँ सरस्वती हमारी रक्षा करें। शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं  वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।  हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌  वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥२॥ श्लोक अर्थ  - शुक्लवर्ण वाली, सम्पूर्ण चराचर जगत्‌ में व्याप्त, आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं चिन्तन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भयों से भयदान देने वाली, अज्ञान के अँधेरे को मिट

इतिहास के पन्नो से: एक भारतीय ने मारा ऐसा छक्का कि एक शहर से दुसरे शहर पहुँच गयी गेंद

क्रिकेट के इतिहास में कुछ ऐसे रिकॉर्ड है जिन्हें आज तक तोड़ा नही जा सका हैं. आज हम को क्रिकेट के इतिहास की एक ऐसे घटना के बारे में बताएंगे जहाँ एक बल्लेबाज़ ने ऐसा छक्का मारा था कि गेंद दुसरे शहर में जा कर गिरा था. सुनने में ये बात भले ही आप को अजीब लगे लेकिन ये बात सच हैं. ये छक्का धोनी या सहवाग ने नही बल्कि भारत के पहले टेस्ट कप्तान सीके नायडू थे. मारा था ऐसा छक्का की गेंद दूसरे शहर चली गई थी क्रिकेट की जब शुरुआत हुए थी तब किसी भी बल्लेबाज़ के लिए छक्का लगाना आसान काम नही होता था. लेकिन उस समय भी भारत के पहले टेस्ट कप्तान सीके नायडू ने ऐसा रिकॉर्ड अपने नाम किया था जिससे आज तक कोई भी बल्लेबाज़ नही तोड़ सका हैं. भारतीय टीम जब पहली बार इंग्लैंड खेलने गए थे तब हाथ में चोट लगने के बाद टीम के कप्तान सीके नायडू ने 40 रन बनाए थे . अपनी इस पारी के दौरान उन्होंने एक बड़ा ही अजीब कारनामा किया था. उन्होंने अपनी पारी के दौरान एक ऐसा छक्का मारा था जो दुसरे शहर चला गया था. भारत का मैच  वर्वीकशेयर में खेला जा रहा था, मैदान नदीके पास था,ऐसे में सीके नायडू ने एक छक्का मारा जो नदी को पार करते हुए व्रस्टे