महाभारत के पांडवाे के बारें में ताे सभी जानते ही है लेकिन क्या अाप जानते है कि उन्हाेने एक एेसा मंदिर बनवाया था जाे पानी में था। महाभारत के ग्रंथ में इस मंदिर का बहुत महत्व हैं। पंजाब के तलवाड़ा शहर से करीब 34 किलोमीटर की दूरी पर पोंग डैम की झील के बीच बना एक अद्भुत मंदिर, जो साल में सिर्फ चार महीने (मार्च से लेकर जून तक) ही नजर आता है।
पोंग डैम से लगभग 2 किलोमीटर लंबी आधुनिक सड़क पर्यटकों का मन मोह लेती है। बांध के पश्चिम भाग में युग-युगांतर प्राचीन शिव मंदिर व बांध के संयुक्त दृश्य को देखकर रामेश्वर सेतु की अनुभूति होती है। बाकी समय मंदिर पानी में ही डूबा रहता है। पानी उतरने के कारण अब ये मंदिर नजर आने लगा है जिससे यहां पर टूरिस्ट का आना शुरू हो जाएगा।
पोंग डैम से लगभग 2 किलोमीटर लंबी आधुनिक सड़क पर्यटकों का मन मोह लेती है। बांध के पश्चिम भाग में युग-युगांतर प्राचीन शिव मंदिर व बांध के संयुक्त दृश्य को देखकर रामेश्वर सेतु की अनुभूति होती है। बाकी समय मंदिर पानी में ही डूबा रहता है। पानी उतरने के कारण अब ये मंदिर नजर आने लगा है जिससे यहां पर टूरिस्ट का आना शुरू हो जाएगा।
इन मंदिरों के पास एक बहुत ही बड़ा पिल्लर है। जब पौंग डैम झील का पानी काफी ज्यादा होता है तब यह सभी मंदिर पानी में डूब जाते है, लेकिन सिर्फ इस पिल्लर का ऊपरी हिस्सा ही नजर आता है।
इस मंदिर के पत्थरों पर माता काली और भगवान गणेश जी के प्रतिमा बनी हुई है। मंदिर के अंदर भगवान विष्णु और शेष नाग की मूर्ति रखी हुई है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है। मंदिर के आस-पास टापू की तरह जगह है जिसका नाम रेनसर है।
यहां पर कई तरह के प्रवासी पंछी देखे जा सकते हैं। मार्च से जून तक दूर-दूर से पर्यटक इस मंदिर को देखने के लिए आते हैं। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए तलवाड़ा से ज्वाली बस द्वारा आया जा सकता है। पानी में रहने के बाद अभी तक सही सलामत है इमारत
यहां पर कुल आठ मंदिर हैं, जो कि बाथू नामक पत्थर से बने हैं। इसलिए इसका नाम बाथू की लड़ी पड़ा है। इस मंदिर से कई सारी कथाएं भी जुड़ हुई है कई लाेगाें का ताे कहना है कि इस मंदिर के रास्ते ही पांडव स्वर्ग गए थे।
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